top of page

ख्वाब

  • Amritansh Singh
  • Sep 14, 2020
  • 1 min read

सच तो यूं है,

चांद चुने की तमन्ना की,

बादलों को ज़मीन पर मांगा,

फूलों को चाहा कि उगे पत्थरों पर.....

इच्छाएं अनंत थी, सपनो के रथ पर जो सवार थे...

उम्मीद थी, की वापस जाना होगा जल्द,

उन रास्तों में,

जो ज़रा अनजान थे एक समय,

आज वही घर सी याद दिला रहे थे।

मगर कसूर ये मेरा जो, ख्वाब मैंने देखा,

चाहा सब सच होजाए,

सज़ा तो इसकी मिलनी थी......


Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating

THE JSIA BULLETIN 2024-25

bottom of page